राम नरेश ठाकुर, ब्यूरो
मुजफ्फरपुर। बिहार में मस्तिष्क ज्वर (एईएस) का कहर जारी है और इस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच का दौरा किया। जिसके बाद मुख्य सचिव दीपक कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बिहार सरकार द्वारा एईएस के रोकथाम के लिए उठाए जा रहे कदम की जानकारी दी।
दीपक कुमार ने बताया है कि एईएस बीमारी का कारण क्या है यह पता नहीं है। कुछ परिजनों का कहना है कि बच्चे रात में खाली पेट सोये हुवे थे, कुछ कह रहे थे कि बच्चों ने लीची खाया था। सभी से बात करने के बाद भी यह निष्कर्ष नहीं निकल रहा है कि बीमारी का कारण क्या है। इस मुद्दे पर डॉक्टरों से बात किया गया है । एम्स के भी कुछ डॉक्टर आये हुवे थे। जिसमे यह फैसला लिया गया है कि 400 से अधिक प्रभावित बच्चों के घरों पर एक टीम जाएगी और यह टीम देखेगी कि बच्चों का सोशियो इकोनॉमिक बैकग्राउंड कैसा है? परिवार की स्थिति कैसी है? गरीबी कितनी है? सफाई है कि नहीं? बुधवार से सभी प्रभावित घरों तक टीम जाकर कारण तलाशेगी। अगर कोई कारण निकल पाता है तो सरकार आगे ऐसा न हो इसके लिए प्रबंध करेगी।
पांच छः दिन से अचानक मरीज की संख्या बढ जाने के कारण डॉक्टर की संख्या भी कम पड़ रही है । इसे देखते हुए डीएमसीएच और पीएमसीएच से अतिरिक्त डॉक्टरों को एसकेएमसीएच भेजा जाएगा। पहले चरण में आज 8 डॉक्टर भेजे जाएंगे। मुख्य सचिव ने कहा कि अस्पताल पहुंचने में देर बच्चों की मौत का मुख्य कारण है। मरीजों को हॉस्पिटल लाने का खर्च परिजनों को वहन नहीं करना पड़ेगा। सरकारी एंबुलेंस मिले तो उससे आएं। अगर सरकारी एंबुलेंस नहीं मिलती है तो किसी भी वाहन से हॉस्पिटल आएं सरकार की ओर से किराए का पैसा दिया जाएगा। इसके लिए सरकार 400 रुपए देगी।
दीपक कुमार ने कहा कि एईएस के प्रति सरकार लोगों को पहले से जागरूक कर रही थी। आशा कार्यकर्ता, एएनएम और आंगनबाड़ी सेविकाओं को इसके लिए लगाया गया था। इस काम को फिर से शुरू किया जाएगा। सभी से घर-घर जाने को कहा गया है, जिससे वे बच्चों के माता-पिता से मिलकर बीमारी के प्रति जागरूक करें। इसके साथ ही घर-घर तक ओआरएस पहुंचाया जाएगा और परिजनों से कहा जाएगा कि जरूरत महसूस न हो तब भी बच्चों को ओआरएस पिलाकर सुलाएं।