रिपोर्ट,मो.अंजुम आलम,जमुई (बिहार)
जमुई:-शुक्रवार को सदर अस्पताल के सभागार में रोटावायरस पर नियंत्रण व सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा के उन्मुखीकरण को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई।कार्यशाला में जिला व प्रखंड के सभी स्वास्थ्य कर्मी और पदाधिकारियों को रोटावायरस पर नियंत्रण के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया।वहीं रोटावायरस से संबंधित सभी तथ्यों की जानकारी स्वास्थ्य कर्मी को दी गई।वहीं सिविल सर्जन डॉ. श्याम मोहन दास ने स्वास्थ्य कर्मियों को बताया की बच्चों को डायरिया के प्रकोप से बचाने के लिए बच्चों को मुफ्त में रोटावायरस वैक्सीन दिया जाएगा।यह वैक्सीन जन्म से लेकर एक वर्ष के बच्चों को तीन बार दी जाएगी।बच्चे को जन्म पहली खुराक 05 बूंद छठे,दूसरी दसवें और तीसरी खुराक 05 बूंद चौदहवें सप्ताह पर दी जाएगी।सरकारी अस्पतालों में यह वैक्सीन नियमित टीकाकरण का हिस्सा होगा।बच्चों में रोटावायरस की वजह से होने वाले दस्त को बचाने के लिए यह वैक्सीन दिया जाना है। आगे उन्होंने बताया कि सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा के तहत 24 जून से सात दिनों तक स्वास्थ्य कर्मियों व आशा कार्यकर्ताओं द्वारा हर घर में ओआरएस और जिंक की दवाइयां मुफ्त में दी जाएगी।
दस्त का मुख्य कारण है रोटावायरस
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. विमल कुमार चौधरी ने बताया कि रोटावायरस एक अत्यधिक संक्रामक वायरस है।जो बच्चों के लिए दस्त का सबसे बड़ा कारण है।इस संक्रमण के कारण बच्चों को अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ सकता है अथवा उसकी मृत्यु हो सकती है।आगे उन्होंने बताया कि दस्त की वजह से बच्चों की मृत्यु दर में 40 प्रतिशत बच्चे रोटावायरस संक्रमण से ग्रसित होते हैं।इस संक्रमण से देश में प्रतिवर्ष लगभग 78000 बच्चों की मृत्यु हो जाती है जिनमे 59000 बच्चों की मृत्यु प्रथम दो वर्षों में होती है।
एक दूसरे के सम्पर्क से फैलता है वायरस
रोटावायरस एक बच्चे से दूसरे बच्चे में दूषित पानी,दूषित खाने व दूषित हाथों के संपर्क में आने से फैलता है।यह वायरस बच्चों के हाथों में कई घंटों तक जीवित रहता है।वहीं यूनिसेफ के निगार कौसर ने बताया कि यह संक्रमण और दस्त पूरे साल में कभी भी हो सकता है परंतु सर्दियों के मौसम में इसका ज़्यादा प्रभाव पड़ता है।
ओआरएस और जिंक टेबलेट से किया जाता है दस्त का इलाज
रोटावायरस से होने वाले दस्त का इलाज भी अन्य दस्त की तरह ही होता है।इसका इलाज बच्चे को ओआरएस एवं 14 दिनों तक जिंक टेबलेट देकर किया जाता है।बच्चे को रोटावायरस का संक्रमण बार-बार हो सकता है लेकिन दुबारा होने वाला संक्रमण सामान्यतः गंभीर नहीं होता है।
स्वच्छता और सुरक्षित भोजन से किया जा सकता है वायरस से बचाव
रोटावायरस वैक्सीन बच्चों में रोटावायरस दस्त व बच्चों की मृत्यु संबंधी मामलों में कमी लाने में प्रभावी है।अच्छी स्वच्छता,बार-बार हाथ धोना,साफ व सुरक्षित पानी पीना, ताजा व सुरक्षित खान-पान,बच्चे को भरपूर स्तनपान करवाने तथा विटामिन “ए” युक्त आहार देने से इस संक्रमण से बचाव किया जा सकता है। इस अवसर पर एसीएमओ डा. विजेंद्र सत्यार्थी,वरीय चिकित्सक डा. अंजनी कुमार सिन्हा,जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी विमल कुमार चौधरी,डीपीएम सुधांशु नारायण लाल,यूनिसेफ की निगार कौशर,केयर इंडिया के संजय कुमार,आशुतोष रंजन,मुकेश कुमार,सीडीपीओ सहित प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी व कई स्वास्थ्य कर्मी मौजूद थे।